यात्रा

आत्म त्याग  सहज नहीं,
परमार्थ पथ सरल नहीं।
भिन्न मार्ग,भिन्न कार्य,भिन्न चरितार्थ,
इसलिए अडिग रहना।।

पथ में काँटे तो होंगे ही,
ऊर्जा में सीमितता होगी ।
लक्ष्य धुंधला सा दिखेगा,
पर तुम अटल रहना।।

अपनों का साथ तो छूटेगा,
साहस कुछ क्षण टूटेगा।
स्वप्न रुकते नज़र आएँगे
पर तुम अविचल रहना।।

निरुपाय अवस्था में बँध जाओगे,
नेत्रों में नमी तुम पाओगे।
तन शिथिल होजाएगा,
पर तुम अचल रहना।।

कुछ पड़ाव कमज़ोर करेंगे,
बल टूटने को विवश करेंगे।
फल की व्यथाएँ सताएँगी,
पर तुम अडिग रहना।।

यह मार्ग सुगम न पाओगे,
पर इससे श्रेष्ठ अन्य न चाहोगे।
पथ बदलने का विचार तो आएगा, 
पर तुम अडिग रहना।।

अडिग रहना
क्योंकि,तुम्हारी आत्मा सत्य है,
क्योंकि,यह संसार असत्य है।
क्योंकि,शिवांश तुम भिन्न हो,
तुम्हारे स्वप्न,कार्य,आकांक्षाएँ
सब भिन्न हैं।।


-अर्शिता शर्मा ‘कौशिकी'

Comments

Popular Posts