भारत की तेजस्विनियाँ

संघर्षपूर्ण इस जीवन में,
माँ सीता के अनुयाई बनें।
मर्यादा के वेश को ,
माँ वैदेही सा हम धरें।।

महिषासुरों के मर्दन के,
उत्तरदायी हम बनें।
शुंभ - निशुंभ से दानवों का,
चंडिका बन वध करें।।

सरस्वती माँ को पूजें हम,
नीर-क्षीर विवेक रखें।
गार्गी सा वेद ज्ञान हम,
जानें और अनुगमन करें।।

दुहशासनों के मध्य में हम,
पांचाली सा विश्वास रखें।
इन दानवों के दुष्कर्मों का,
माँ काली बन संहार करें।।

भारत की तेजस्विनियों को,
हाथ जोड़ प्रणाम करें।
इन शक्तियों के कर्मों का,
अनुसरण हम सब करें।।

Comments

Popular Posts