A short tale

 

भोर होते ही मन मे,तेरे तराने उतर आते थे,
और यूहीं सब छोड़ ,हम तेरे पास चले आते थे।
रोक कर सब अपने, हम पर हक़ यूँ जताते थे,
वो भी हिस्सा हैं जीवन में,हमको ये बतलाते थे।।

वहां तुम यूँ सजी सँवरि सी,
राह से नज़र ना हटाती थीं।
ले अधरों पर मुसकान खिली सी
देख हमें मुस्कातीं थीं।।

यह घड़ी हर रोज़ आ,
हर दिन खुशहाल बनाती थी।
एक दूजे की प्रीत जगा,
प्रणय से पूर्ण बनाती थी।।

ये रंगों भरा जीवन मेरा ,
औचक ही बेरंग होगया।
ये हस्ता हुआ हर क्षण मेरा,
संत्रस्त बेहद होगया।।

प्रीत विरह में मन मेरा,
उन्माद लिए उर ले चढ़ा।
नीरव सा ये लब मेरा,
यूँ मौन लिए तब बढ़ चला।।

नियति का सम्मान किये ,
यूँ बारह वर्ष बिताए हैं।
बिन कोई शिकवा किये,
यूँ तुम बिन अश्क बहाए हैं।।

वर्षों बाद यूँ देख तुम्हे मैं,
आपा अपना खो बैठा हूँ।
करने दिल की बात बयां मैं
अप्रतिक्षित हो चुका हूं।।

तुमको गेहरा फलक बनाने,
खुद बूंदें मैं बन चुका हूँ।
गरज-बरस कर इंद्र बनाने,
बेहद आकुल हो चुका हूं।।

-अर्शिता

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